Sunday, September 23, 2007

इन्तहा यह के भुला के भी भूल पाए ना

खुला है राज़ मेरे आंसुओं से मुस्कुराने ka

अश्क बन कर तेरी आंखों मैं उतर आयेंगे

रास्ते तेरी दुनिया के जो आसान होते