से जो ज़ख्म पाये हैंदोस्तों
आशियाँ उन से ही सजाये हैं
तुम ने पासे वफ़ा भी ना रखा
हम ने हंस के फरेब खाए हैं
इक तेरी राह में खड़े रह कर
हम ने सदियों में पल बिताये हैं
आह... उन पर निसार दी दुनिया
वो जो अपने नहीं पराये हैं
जो के तुम से रहे हैं वाबस्ता
बस वही ख्वाब जगमगाये हैं
हर तरफ़ हम ने चल के देख लिया
रास्ते तुम पर ही लौट आए हैं
हम ने अक्सर उन्हें जुदा पाया
वो जो आँखों में झिलमिलाये हैं
वो हमें याद भी ना कर पाये
वो जो हर लम्हा याद आए हैं
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