Wednesday, June 11, 2008



दोस्तों से जो ज़ख्म पाये हैं

आशियाँ उन से ही सजाये हैं



तुम ने पासे वफ़ा भी ना रखा

हम ने हंस के फरेब खाए हैं



इक तेरी राह में खड़े रह कर

हम ने सदियों में पल बिताये हैं



आह... उन पर निसार दी दुनिया

वो जो अपने नहीं पराये हैं



जो के तुम से रहे हैं वाबस्ता

बस वही ख्वाब जगमगाये हैं



हर तरफ़ हम ने चल के देख लिया

रास्ते तुम पर ही लौट आए हैं



हम ने अक्सर उन्हें जुदा पाया

वो जो आँखों में झिलमिलाये हैं



वो हमें याद भी ना कर पाये

वो जो हर लम्हा याद आए हैं








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