Thursday, January 15, 2009

या रब मोहब्बत को मेरी ऐसी अदा de


या रब मोहब्बत को मेरी ऐसी अदा दे
दीवाना जो कहते हैं उन्हें दीवाना बना दे

कुछ तो मेरी आहो फुगाँ का भी भरम रख
इस दिल की हकीकत को न अफसाना बना दे

दुश वार है अब दर्द से दिल का सही होना
तू दर्द को सहने का कोई पैमाना बना दे

तकदीर के मारों पे इतना तो करम कर
हर दस्ते परीशां को शाहाना बना दे

माजी का हो मातम ना हो आज के नाले
तू दर्दो आलम से मुझे अनजाना बना दे

आंखों में ग़म लबब पे गिला पआंव में छाले
अब राह की मंजिल darey जानाना बना दे

तुझ में यूँ सिमट आई खुदाई मेरे अल्लाह
वयिज़ तुझे देखे तो बुतखाना बना दे

गर हर्फे खता हूँ तो भुलाना मुझे बेहतर
ये इश्क कहीं मुझको तमाशा न बना दे

कुछ भी न मुझे याद हो तेरे नाम के सिवा
तू मुझको सनम ख़ुद से भी बेगाना बना दे

4 comments:

  1. भई हम रोज़ पढ़े जा रहे हैं, दिल के आस-पास जो लिखते हैं

    ---मेरा पृष्ठ
    गुलाबी कोंपलें

    ------
    आप भारतीय हैं तो अपने ब्लॉग पर तिरंगा लगाना अवश्य पसंद करेगे, जाने कैसे?
    तकनीक दृष्टा/Tech Prevue

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  2. दुश वार है अब दर्द से दिल का सही होना
    तू दर्द को सहने का कोई पैमाना बना दे


    --वाह!! बहुत खूब पेश किया.

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  3. या रब मोहब्बत को मेरी ऐसी अदा दे
    दीवाना जो कहते हैं उन्हें दीवाना बना दे
    " वाह ....बहुत सुंदर ग़ज़ल मन को लुभा गयी.."

    Regards

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  4. vinay ji, udan ji, seema ji, inn jazbaaton ko samjhne ke liye aap ka bohot bohot shukriya!!

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