या रब मोहब्बत को मेरी ऐसी अदा दे
दीवाना जो कहते हैं उन्हें दीवाना बना दे
कुछ तो मेरी आहो फुगाँ का भी भरम रख
इस दिल की हकीकत को न अफसाना बना दे
दुश वार है अब दर्द से दिल का सही होना
तू दर्द को सहने का कोई पैमाना बना दे
तकदीर के मारों पे इतना तो करम कर
हर दस्ते परीशां को शाहाना बना दे
माजी का हो मातम ना हो आज के नाले
तू दर्दो आलम से मुझे अनजाना बना दे
आंखों में ग़म लबब पे गिला पआंव में छाले
अब राह की मंजिल darey जानाना बना दे
अब राह की मंजिल darey जानाना बना दे
तुझ में यूँ सिमट आई खुदाई मेरे अल्लाह
वयिज़ तुझे देखे तो बुतखाना बना दे
गर हर्फे खता हूँ तो भुलाना मुझे बेहतर
ये इश्क कहीं मुझको तमाशा न बना दे
कुछ भी न मुझे याद हो तेरे नाम के सिवा
तू मुझको सनम ख़ुद से भी बेगाना बना दे
भई हम रोज़ पढ़े जा रहे हैं, दिल के आस-पास जो लिखते हैं
ReplyDelete---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
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दुश वार है अब दर्द से दिल का सही होना
ReplyDeleteतू दर्द को सहने का कोई पैमाना बना दे
--वाह!! बहुत खूब पेश किया.
या रब मोहब्बत को मेरी ऐसी अदा दे
ReplyDeleteदीवाना जो कहते हैं उन्हें दीवाना बना दे
" वाह ....बहुत सुंदर ग़ज़ल मन को लुभा गयी.."
Regards
vinay ji, udan ji, seema ji, inn jazbaaton ko samjhne ke liye aap ka bohot bohot shukriya!!
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