जहाँ को भूल जाना चाहता हूँ
तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ
गुजारिश है ये तुमसे अर्ज़ सुन लो
मैं हाले दिल सुनना चाहता हूँ
इजाज़त दो इन्हें गुस्ताख कर लूँ
निगाहों को मिलाना चाहता हूँ
सिमट जाओ मेरे सीने में के मैं
तुम्हें सबसे छुपाना चाहता हूँ
करो जो बन पड़े मुझ पर सितम तुम
मैं ख़ुद को आजमाना चाहता हूँ
गरज ये के बहे जाते हैं आंसू
मैं जितना मुस्कुराना चाहता हूँ
कहीं ऐसा न हो के रूठ जाओ
ज़ख्म दिल के दिखाना चाहता हूँ
मनाया है तुम्हें हर बार मैं ने
मैं अब के रूठ जाना चाहता हूँ
बड़ी दिलकश हैं ये आँखें तुम्हारी
इन्ही में डूब जाना चाहता हूँ
सहारा दे भी दो बाहों का के मैं
जहाँ के गम भुलाना चाहता हूँ
गरेबा चाक जुबा पे नाम तेरा
तेरे कुचे में आना चाहता हूँ
सबब कोई नज़र आता नही है
मैं बस आंसू बहाना चाहता हूँ
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अक्सर ऐसा हो जाता है:
ReplyDeleteसबब कोई नज़र आता नही है
मैं बस आंसू बहाना चाहता हूँ
-बहुत खूब कहा, जनाब!!
ji aksar aisa un hi logon ke saath hota hai jo emotional hote hain.
ReplyDeletemeri emotions ko samjhne ka bohot bohot shukriya