मिलोगे जब कभी तनहा तो हाले दिल सुनायेंगे
बोहोत रोयेंगे अपने साथ तुमको भी रुलायेंगे
लगे है ज़ब्त करने की क़सम अब टूट जायेगी
दीवाने मर ही जायेंगे जो न आंसू बहायेंगे
हुआ क्या जो वफ़ा का भी किसी ने पास न रखा
हमीं तो हैं जो हर वादा मोहब्बत का निभाएंगे
कभी बेबात रो दोगे कभी तुम मुस्कुराओगे
तुम्हें अक्सर मेरे गुजरे ज़माने याद आयेंगे
के हमने जिंदगी को अब तुम्हारे हाल पे छोड़ा
कहोगे रो पड़ेंगे और कहोगे मुस्कुराएँगे
मोहब्बत का जूनून का कोई भी अब इम्तहान गुज़रे
हम अपने दिल से तेरी याद न कोई मिटायेंगे
ज़माने में तुम्ही तो हो जिसे बस हमने चाहा है
अगर हम मर भी जाएँ तो भी हम तुमको ही चाहेंगे
न जाने कितने तूफ़ान रोज़ ही आंखों से ढलते हैं
समुन्दर क्या हमारे होसलों को आजमाएँगे
मोहब्बत के तराने तुमको गर यूँही गिरां गुज़रे
वफ़ा के साज़ पे न गीत कोई गुनगुनाएँगे
बिखरते जा रहे तन्हाईओं में हम तुम्हारे बिन
जुदा तुमसे अगर यूँही रहे तो मर ही जायेंगे
अजी ये बात है तो मिलेंगे ही नहीं.
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