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दुनिया के इस बाज़ार में,
कई बार कोशिशें ki,
के अपनी जात को नीलाम कर के देखूं--
मैं ने हर बाम पर,
अपनी बोली ख़ुद लगायी
दोस्तों को बुलाया
दुश्मनों को दिखाया
फन मेरा मगर
कोई काम न अया
हर आदमी ने मुझको
बेमोल ही बताया
बेमोल फन था मेरा
बेमोल ख्वाहिशे थी
और फिर एक दिन जब मुझे
ये एहसास हो रहा था
के मैं
बेमोल हूँ
तो अबस ही मैं ने
शिकस्ता और तमन्नाई आंखों से
तेरी जानिब देखा तो मैं
अनमोल हो गया
क्यूंकि
तेरी आंखों में
जो दो मोत्ती चमकते हुये
मेरे नाम के थे
मेरी कीमत वही तो थी
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