चटख के टूट गए जो सिलसिले बनाये थे
चला था गर तो लगजिशें थीं क़दम बा क़दम
ज़रा रुका तो अंधेरे सिमट के आए थे
ये हम हैं जो पासे ज़माना निभा रहे
वगरना हमने सभी दोस्त आजमाए थे
बदलते रिश्तों से उम्मीद कोई क्या रखे
तारीकियों के हो गए हमसफ़र जो साए थे
बना है फिर से तमाशा मेरी मोहब्बत का
अभी तो पिछले तगाफुल न भूल पाए थे
वहीँ से इब्तेदा आंखों के भीगने की रही
तुम्हारे सामने दम भर जो मुस्कुराये थे
चला था उससे बोहोत दूर फ़ैसला कर के
रास्ते फिर उसी संगदिल पे लौट आए थे
दबी दबी सी कोई याद अब भी बाक़ी है
बुझे बुझे से हैं सपने जो जगमगाये थे
न दिल में दर्द था बाक़ी न आरजू में तड़प
मगर न उनको भुला के भी भूल पाये थे
अब इससे आगे मुझे क्या पता, कहाँ जाऊं
बस यहीं तक वो मेरे साथ आए थे
डुबो रहे हैं वही तूफ़ान मेरे सफिने को
निगाहे नाज़ में अक्सर जो झिलमिलाये थे