Thursday, June 26, 2008


दिल से तुम्हारा नाम मिटाना पड़ा मुझे
शोलों को आंसुओं से बुझाना पड़ा मुझे

तुम पर ना दोस्ती में कोई नाम आ सके
खंजर को पहलुओं में छुपाना पड़ा मुझे

हद्दे निगाह मुझको तन्हाइयां मिली
तन्हाइयों से दिल को लगना पड़ा मुझे


दीवानगी जूनून को बेबाक कर गई
दिल को तुम्हारे सामने लाना पड़ा मुझे

मुझको खुलूस ए दिल बरबाद कर गए
यूँ मोल दोस्ती का चुकाना पड़ा मुझे

जिन रास्तों पे चलना ना था कभी गवारा
उन रास्तों पे लौट के आना पड़ा मुझे

बेनूर जो सितारे टूटे थे आसमान से
उन से उदासियों को सजाना पड़ा मुझे

दिल में थी उल्फतों के फूलों की चाहतें
काँटों पे जिन्दगी को बिताना पड़ा मुझे

Sunday, June 15, 2008




फिर रुलाने की बात करते हैं

मुस्कुराने की बात करते हैं



दमभर में छोड़ जाते हैं

इक ज़माने की बात करते हैं



हाथ फूलों से कप कअपातेय हैं

गम उठाने की बात करते हैं



आशियाँ अब्र में झुलसते हैं

लौ जलाने की बात करते हैं



दिल में इक हूक सी हुयी बेदार

ये किसके आने की बात करते हैं



हमने दिल पेर फरेब खाए हैं

वो फसाने की बात करते हैं



बडे दिलकश अंधेरे हैं गम के

सुबह आने की बात करते हैं



दो क़दम साथ चल ना पाये हैं

लौट जाने की बात करते हैं



उम्र जाकिर तमाम हो भी चुकी

अबतो जाने की बात करते हैं

Wednesday, June 11, 2008



दोस्तों से जो ज़ख्म पाये हैं

आशियाँ उन से ही सजाये हैं



तुम ने पासे वफ़ा भी ना रखा

हम ने हंस के फरेब खाए हैं



इक तेरी राह में खड़े रह कर

हम ने सदियों में पल बिताये हैं



आह... उन पर निसार दी दुनिया

वो जो अपने नहीं पराये हैं



जो के तुम से रहे हैं वाबस्ता

बस वही ख्वाब जगमगाये हैं



हर तरफ़ हम ने चल के देख लिया

रास्ते तुम पर ही लौट आए हैं



हम ने अक्सर उन्हें जुदा पाया

वो जो आँखों में झिलमिलाये हैं



वो हमें याद भी ना कर पाये

वो जो हर लम्हा याद आए हैं