Thursday, June 26, 2008


दिल से तुम्हारा नाम मिटाना पड़ा मुझे
शोलों को आंसुओं से बुझाना पड़ा मुझे

तुम पर ना दोस्ती में कोई नाम आ सके
खंजर को पहलुओं में छुपाना पड़ा मुझे

हद्दे निगाह मुझको तन्हाइयां मिली
तन्हाइयों से दिल को लगना पड़ा मुझे


दीवानगी जूनून को बेबाक कर गई
दिल को तुम्हारे सामने लाना पड़ा मुझे

मुझको खुलूस ए दिल बरबाद कर गए
यूँ मोल दोस्ती का चुकाना पड़ा मुझे

जिन रास्तों पे चलना ना था कभी गवारा
उन रास्तों पे लौट के आना पड़ा मुझे

बेनूर जो सितारे टूटे थे आसमान से
उन से उदासियों को सजाना पड़ा मुझे

दिल में थी उल्फतों के फूलों की चाहतें
काँटों पे जिन्दगी को बिताना पड़ा मुझे

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