Sunday, February 22, 2009

थमे थमे से इस वक्त से.....








थमे थमे से इस वक्त से ....



इस वक्त जबके तुम भी नही

कोई आरजू नही, कोई जुस्तुजू नही



न तो कुर्बतें हैं न केहकहे

कोई दोस्त,दुश्मन, अदू नही

खड़ा उस जगह पे हूँ जहाँ

जो मैं चाहूँ तो ख़ुद को मिलूं नही



न तो दिल ये मेरा उदास है

न किसी के आने की आस है

न तो मयकशी में है दिलकशी

न लबों पे मेरे ही प्यास है



न तो याद मुझको रहा कोई

न किसी को याद मैं आ सका

न तड़प रही न कसक रही

न मैं अश्क कोई बहा सका



ये बड़ा अजीब सा दौर है

मैं, मैं नही कोई और है

यहाँ बेजुबान हैं आहो करब

खामोशियों का शोर है



यहाँ वक्त अब ये ठहर गया

जो गुज़र गया वो गुज़र गया

ज़रा देख मुझको टटोल कर

मैं हयात हूँ के मर गया



कोई एहसान है जो किए जाता हूँ

बस के जिंदा हूँ जीये जाता हूँ



थमे थमे से इस वक्त से...

बस इतना पूछना चाहता हूँ मैं



गुज़र गई है जब ये जिंदगी यूँ ही



तो ये वक्त क्यूँ थमा है....



गुज़र क्यूँ नही जाता.........

Sunday, February 15, 2009






मिलोगे जब कभी तनहा तो हाले दिल सुनायेंगे

बोहोत रोयेंगे अपने साथ तुमको भी रुलायेंगे



लगे है ज़ब्त करने की क़सम अब टूट जायेगी

दीवाने मर ही जायेंगे जो न आंसू बहायेंगे



हुआ क्या जो वफ़ा का भी किसी ने पास न रखा

हमीं तो हैं जो हर वादा मोहब्बत का निभाएंगे



कभी बेबात रो दोगे कभी तुम मुस्कुराओगे

तुम्हें अक्सर मेरे गुजरे ज़माने याद आयेंगे



के हमने जिंदगी को अब तुम्हारे हाल पे छोड़ा

कहोगे रो पड़ेंगे और कहोगे मुस्कुराएँगे



मोहब्बत का जूनून का कोई भी अब इम्तहान गुज़रे

हम अपने दिल से तेरी याद न कोई मिटायेंगे



ज़माने में तुम्ही तो हो जिसे बस हमने चाहा है

अगर हम मर भी जाएँ तो भी हम तुमको ही चाहेंगे



न जाने कितने तूफ़ान रोज़ ही आंखों से ढलते हैं

समुन्दर क्या हमारे होसलों को आजमाएँगे



मोहब्बत के तराने तुमको गर यूँही गिरां गुज़रे

वफ़ा के साज़ पे न गीत कोई गुनगुनाएँगे



बिखरते जा रहे तन्हाईओं में हम तुम्हारे बिन

जुदा तुमसे अगर यूँही रहे तो मर ही जायेंगे


Thursday, February 12, 2009




main ने


दुनिया के इस बाज़ार में,


कई बार कोशिशें ki,


के अपनी जात को नीलाम कर के देखूं--


मैं ने हर बाम पर,


अपनी बोली ख़ुद लगायी


दोस्तों को बुलाया


दुश्मनों को दिखाया


फन मेरा मगर


कोई काम न अया


हर आदमी ने मुझको


बेमोल ही बताया


बेमोल फन था मेरा


बेमोल ख्वाहिशे थी


और फिर एक दिन जब मुझे


ये एहसास हो रहा था


के मैं


बेमोल हूँ


तो अबस ही मैं ने


शिकस्ता और तमन्नाई आंखों से


तेरी जानिब देखा तो मैं


अनमोल हो गया


क्यूंकि


तेरी आंखों में


जो दो मोत्ती चमकते हुये


मेरे नाम के थे


मेरी कीमत वही तो थी



Monday, February 09, 2009

उदासियों के हज़ार खंज्जर मेरे सीने में......





उदासियों के हज़ार खंज्जर मेरे सीने में गढ़ चुके हैं
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खुशियों के देहेक्तेय पत्ते इस शजर से झढ़ चुके हैं


dum todtey हुए ख्वाबों की कसक है
बिखरे पडे हुए अरमान की खनक है


कज्लाई हुयी शामें हैं अंधियारे सवेरे
छाए हैं उदासी के बे हिस से अंधेरे


पलकों पे सजाये हूँ मैं अश्खों के नगीने
डूबे हैं साहिलों पे सभी मेरे सफीने


हिस्से में मेरे आई हैं नाकाम वफाएं
नाजां हैं फिर भी कर के सभी मुझसे जफ़ाएं


भीगी हुयी खुशी अत मुझको की गई
नाकर्दा गुनाहों की सज़ा मुझको दी गई


बख्शी गई मुझ ही को सभी लग्ज़िशें यहाँ
पूछो न किस तरह से लुटी क्वाहिस्हें यहाँ


मुझको मेरे खुलूस बर्बाद कर गए
दिल की वीरानियों को आबाद कर गए


इन का साया भी पडे तुम पर गवारा नही मुझे
इस लिए मैं ने हमदम पुकारा नही तुझे