Monday, April 27, 2009

बुझा गया वही जिसने दिए जलाये थे
चटख के टूट गए जो सिलसिले बनाये थे

चला था गर तो लगजिशें थीं क़दम बा क़दम
ज़रा रुका तो अंधेरे सिमट के आए थे

ये हम हैं जो पासे ज़माना निभा रहे
वगरना हमने सभी दोस्त आजमाए थे

बदलते रिश्तों से उम्मीद कोई क्या रखे
तारीकियों के हो गए हमसफ़र जो साए थे

बना है फिर से तमाशा मेरी मोहब्बत का
अभी तो पिछले तगाफुल न भूल पाए थे

वहीँ से इब्तेदा आंखों के भीगने की रही
तुम्हारे सामने दम भर जो मुस्कुराये थे

चला था उससे बोहोत दूर फ़ैसला कर के
रास्ते फिर उसी संगदिल पे लौट आए थे

दबी दबी सी कोई याद अब भी बाक़ी है
बुझे बुझे से हैं सपने जो जगमगाये थे

न दिल में दर्द था बाक़ी न आरजू में तड़प
मगर न उनको भुला के भी भूल पाये थे

अब इससे आगे मुझे क्या पता, कहाँ जाऊं
बस यहीं तक वो मेरे साथ आए थे

डुबो रहे हैं वही तूफ़ान मेरे सफिने को
निगाहे नाज़ में अक्सर जो झिलमिलाये थे

Thursday, April 16, 2009

गो रात बोहोत बेकरार गुजरी है


गो रात बोहोत बेकरार गुजरी है
गुज़र गई है मगर अश्कबार गुजरी है

सुलग के शोला ऐ ग़म राख भी नही होता
सबा चली है मगर सोग्वार गुजरी है

ग़मों के बोझ से हम भी दबे दबे से रहे
मिली खुशी तो बोहोत शर्मसार गुजरी है

ये किसके अश्क मेरी आँख में उतर आए
ये किसकी याद यहाँ बार बार गुजरी है

न जाने दिल को मेरे इंतज़ार किसका था
उम्मीद अबके दीवानावार गुजरी है

बडे ही सख्त मोहब्बत के लम्हे गुजरे हैं
बड़ी तवील हमारी दीवार गुजरी है

किसी भी तोर तो उसको रहम नही आया
गुलों को रोंदते अबके बहार गुजरी है

दम भर में सदियों के रिश्ते टूट गए
दिलों को चीरती कैसी दरार गुजरी है

क़दम क़दम उदासी क़दम क़दम तनहा
कसूर ऐसा न था जैसी के यार गुजरी है

बुझी बुझी सी चारागों में रौशनी भी न थी
सेहर यूँ गुजरी के जैसे उधार गुजरी है

जो ज़ख्म उभरे तो तन्हाईयों में डूब गया
मेरे लिए तो यही गमगुसार गुजरी है

सुलग के अश्क निगाहों में आग भरते हैं
तुम्हारी याद की जब जब फुहार गुजरी है

करार दिल को मेरे अब भी उसी नाम से है
अदा ऐ सख्ती ऐ जानां बेकार गुजरी है

Friday, April 10, 2009

एक जहाँ ऐसा मोहब्बत का....




एक जहाँ ऐसा मोहब्बत का बसा रखा है

बंदगी करता हूँ और तुमको खुदा रखा है


दिल की गहरायी में एक नाम लिखा है तेरा

और हर हर्फ मोहब्बत से सजा रखा है


ghazlon mein मेरी दुनिया तेरा नाम न पढ़ ले

मैंने हर लफ्ज़ में तुझको ही बसा रखा है


तू जो मिल जाए तो तकदीर पे कुरबा जाऊं

वरना हर चंद उजालों में क्या रखा है


इतना आसान भी तेरे हिज्र में जीना न रहा

दिल ने हर लम्हे पे सदियों का गुमा रखा है


जानता हूँ के तुम्हें मुझसे शिकायत है बोहोत

मैंने भी दिल को दुखाने का गिला रखा है


कुछ आहो फुगआने ग़म मेरी ज़िन्दगी के हैं

कुछ मोहब्बत ने भी तूफ़ान उठा रखा है


यूँ तो मौसम की तरह ग़म रहे आते जाते

ये दर्दे मोहब्बत क्यूँ सीने से लगा रखा है


वरना तो कोई बात नही जिसका गिला हो

बस तेरी याद ने हल्का सा बना रखा है


यादों से भला ख़ुद को कहाँ तक मैं संभालूं

तुझको दिल में नही साँसों में बसा रखा है


चाहे हालात की अब कोई भी सख्ती गुजरे

मैंने भी हलफ मोहब्बत का उठा रखा है


यां तो एक लम्हा तेरी आंखों से सूरत न ढली

किस तरह तू ने मुझे दिल से मिटा रखा है


और किसी ग़म पे मेरे कोई भी ऊँगली न उठी

बस तेरे ग़म का ही दुनिया ने गिला रखा है


वरना दुनिया में बताओ के क्या कुछ नही होता

जाने तकदीर ने क्यूँ तुमसे जुदा रखा है

Wednesday, April 01, 2009

उदास रात में


उदास रात में,
चुपके से....
तसव्वुर ने तेरे दस्तक दी है
मैं जो वीरान अपनी आंखों में

बुझते सपने सजाये बैठा था
बेकसी की सितम जदा चीखें
अपने दिल में दबाये बैठा था
मुस्कुराहटों का मातम था
और मैं मुस्कुराये बैठा था
मैं ने दुनिया को दोस्त जाना था
मैं इसे आजमाए बैठा था
वक्त ने नोंच ली हँसी लअब्ब से
मैं के नज़रें झुकाए बैठा था
आह चल पाया न साथ दुनिया के
ख़ुद को भी आजमाए बैठा था
मतलबी दुनिया के झूटे रिश्तों से
अपना दामन जलाये बैठा था
मौत आ जाती के सुकून मिलता
कब से नज़रें बिछाये बैठा था
जिस उदासी से दूर रहता था
उसको ख़ुद में समाये बैठा था
जैसे सारे गुनाह मेरे थे
ऐसे कुछ सर झुकाए बैठा था
आसमानों से आग बख्शी गई
हाथ मैं फैलाये बैठा था
हाँ के भूल जाना लाजिम था
हाँ मैं तुमको भुलाये बैठा था

अब उदासी के ऐसे आलम में
जो तेरी याद चुपके से चली आई है
सामने मेरे खड़ी है ये अजनबी की तरह
ऐसा लगता ही नही इस से शनासाई है

सोचता हूँ के इसे दिल में बुला लेता हूँ
दो घड़ी के लिए फिर ख़ुद को सज़ा देता हूँ
मुस्कुरा लेता हूँ फिर अश्क बहने के लिए
नवाजिशेय हयात का कुछ और मज़ा लेता हूँ

पर पशेमान हूँ के मेरे दिल में बची
तेरी यादों तेरी बातों की जगह कोई नहीं
अब मेरे पास उदासी के घने साए हैं
हुस्न के शौख उजालों की जगह कोई नहीं
धुन्धलाये से नगमे हैं बोसीदा से वादे
दिल के मासूम फसानों की जगह कोई नहीं


मेरे पहलु से तुम इस याद को वापस ले लो
जिंदा रहने के बहानों की जगह कोई नहीं