Friday, April 10, 2009

एक जहाँ ऐसा मोहब्बत का....




एक जहाँ ऐसा मोहब्बत का बसा रखा है

बंदगी करता हूँ और तुमको खुदा रखा है


दिल की गहरायी में एक नाम लिखा है तेरा

और हर हर्फ मोहब्बत से सजा रखा है


ghazlon mein मेरी दुनिया तेरा नाम न पढ़ ले

मैंने हर लफ्ज़ में तुझको ही बसा रखा है


तू जो मिल जाए तो तकदीर पे कुरबा जाऊं

वरना हर चंद उजालों में क्या रखा है


इतना आसान भी तेरे हिज्र में जीना न रहा

दिल ने हर लम्हे पे सदियों का गुमा रखा है


जानता हूँ के तुम्हें मुझसे शिकायत है बोहोत

मैंने भी दिल को दुखाने का गिला रखा है


कुछ आहो फुगआने ग़म मेरी ज़िन्दगी के हैं

कुछ मोहब्बत ने भी तूफ़ान उठा रखा है


यूँ तो मौसम की तरह ग़म रहे आते जाते

ये दर्दे मोहब्बत क्यूँ सीने से लगा रखा है


वरना तो कोई बात नही जिसका गिला हो

बस तेरी याद ने हल्का सा बना रखा है


यादों से भला ख़ुद को कहाँ तक मैं संभालूं

तुझको दिल में नही साँसों में बसा रखा है


चाहे हालात की अब कोई भी सख्ती गुजरे

मैंने भी हलफ मोहब्बत का उठा रखा है


यां तो एक लम्हा तेरी आंखों से सूरत न ढली

किस तरह तू ने मुझे दिल से मिटा रखा है


और किसी ग़म पे मेरे कोई भी ऊँगली न उठी

बस तेरे ग़म का ही दुनिया ने गिला रखा है


वरना दुनिया में बताओ के क्या कुछ नही होता

जाने तकदीर ने क्यूँ तुमसे जुदा रखा है

6 comments:

  1. बहुत बेहतरीन गजल है
    पढ़वाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

    वीनस केसरी

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  2. dear Zakirr ,I am happy that I am first to comment on your poems.Beautiful lines with great intensity of emotions.My best wishes
    yours
    dr.bhoopendra

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  3. shukrya doston, meri ghazal ko sarhaney ke liye. bas aap doston ka pyar isi tarah se milta rahe tou bohot inayat hogi.

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  4. shukriya doston meri ghazalon ko sarhaney ke liye. agar aagey bhi issi tarah se mohabbat milti rahe to aap sab ki bohot inayat hogi.

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  5. बहुत प्यारी ग़ज़ल हैं ...दिल कहीं खो सा गया

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